वाह रे आबकारी विभाग बाल सुधार गृह के नीचे ही खोल दी शराब की दुकान जिम्मेदार कौन जांच का विषय

जिलाधिकारी का दावा 21 से कम उम्र के लोगो को नही मिलेगी शराब तो किन मजबूरियों के तले बाल सुधार गृह के नीचे खोल दी दुकान
कंट्रोल इंडिया विशाल तोमर
नोएडा : आधुनिकता के युग मे डिजिटल मीडिया मैं एक बड़ा बूम आया है लेकिन कही ना कही डिजिटल मीडिया खबरों को नई पहचान नया आयाम देने के लिए सक्षम है ।प्रदेश सरकार भी हर प्रकार का प्रयास कर रही है जिससे कि सरकार का राजस्व बढ़ सके। इसके लिए प्रदेश में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले विभागों पर विशेष नजर प्रदेश सरकार की बनी रहती है जिससे कि विभाग द्वारा किसी भी प्रकार की कोई भी अनैतिक गतिविधि को बढ़ावा ना दिया जा सके। आबकारी विभाग ने मार्च से शराब के ठेकों की लॉटरी के माध्यम से चयन किए गए अनुज्ञपियो जो को लाइसेंस दिया। जिसमे बड़ा बदलाव आया है। जिससे कि प्रदेश में राजस्व पर अधिक प्रभाव पड़ा है। आवंटनों की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है। ठेको को नियमित रूप से सक्रिय कर दिया गया है। लेकिन कहीं ना कहीं अधिकारी और अनुज्ञापियो का गठबंधन समाज को किस दिशा में डालना चाह रहा है। यह देखने की बात है ऐसा ही ताजा मामला सोशल मीडिया के प्लेटफार्म X के माध्यम से
हमारे संज्ञान में आया है कि जिसमे एक शिकायत कर्ता ने एक शराब की दुकान जो कि मॉडल शॉप है जिसको बाल सुधार गृह के नीचे ही खोल दिया गया है।जिसके अनुज्ञापी अंकित गर्ग है। जो कि फेस 2 ब्लाक b नोएडा मैं स्थित है । जिसके ऊपर और उसी कंपाउंड मैं जनपद का बाल सुधार गृह बना हुआ है। जो कि वर्षो से निरतंर अपनी सेवाएं दे रहा है । एक तरफ बाल सुधार ग्रह दूसरी तरफ सरकारी शराब की मॉडल शॉप दोनों में से कोई ना कोई तो गलत है।
क्योंकि एक तरफ तो हम बच्चों को जो गलत रास्ते पर चलते हैं उनको सुधारने के मकसद से बाल सुधार ग्रह मे भेजा जाता है। लेकिन बड़ी बात यह है कि अगर छोटे बच्चे बाल सुधार गृह जा रहे हैं और उसके नीचे ही शराबियों का आडंबर लगा हुआ है तो उन बच्चों पर क्या फर्क पड़ने वाला है कहीं ना कहीं अब अगर बात हम शराब की ठेके की करें तो प्रदेश के राजस्व मे शराब एक महत्वपूर्ण पेय पदार्थ है। जिससे सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त होता है लेकिन अगर हम आने वाली पीढ़ी की करें तो यह बच्चे जो कि बाल अवस्था मे है जिनको इस समय पर सुधारा जा सकता है लेकिन सरकार ने शराब की दुकान वहाँ खुलवा कर इन बच्चो को अंधकार मैं जाने के लिए उचित व्यवस्था कर रखी है । क्योंकि जिस जगह पर बच्चों को सुधारने के लिए भेजा जाता है अगर वहीं पर ही शराब की बिक्री व शराब पीने के लिए उचित व्यवस्था की जायेगी तो वहां बच्चे कहां सुधार पाएंगे क्योंकि एक कहावत कही गई है जैसी संगत वैसी रंगत अगर हमारी संगत अच्छी होगी तो हम पर अच्छी संगत का असर दिखता है और अगर संगत हमारी गलत होती है तो उसे गलत संगत का भी हमारे जीवन में बहुत फर्क पड़ता है देखने की बात यह होगी क्या इस ठेके पर कोई कार्रवाई होगी या जिन मासूमो के लिए प्रदेश सरकार बड़े बड़े दावे करती है तो उन दावो को धरातल मैं भी सत्य हो पाएंगे। या फिर कागज मैं ही फाइल बनकर दबे रहेंगे।
किन नियमो के तहत आबकारी निरीक्षक ने चौहद्दी पास कर दी जांच की भी गयी
लॉटरी से ठेके आवंटन होने के पश्चात आबकारी विभाग द्वारा चौहद्दी पास करानी बहुत महत्वपूर्ण होती है।चौहद्दी वह होती है जिसमें शराब ठेके के आसपास के स्थान के बारे में लिखा होता है। क्या चौहद्दी में यह लिखा गया था। कि बाल सुधार ग्रह ठेके के ऊपर ( कम्पाउंड ) है ।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार किसी भी नियम का पालन नही किया गया है चौहदी के समय पर यह जनकारी छुपायी गयी थी कि बाल सुधार गृह वहाँ पर मौजूद है।
होता क्या है बाल सुधार गृह
बाल सुधार गृह किशोर न्याय अधिनियम के अनुसार निर्धारित होते हैं, जिसके तहत बच्चों को अपराध के बजाय ‘कानून के साथ संघर्ष में बच्चे’ माना जाता है और उनका उद्देश्य सुधारात्मक उपचार है। इन नियमों में शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन और परामर्श जैसी सुविधाओं की व्यवस्था, कर्मचारियों के लिए आचार संहिता, माता-पिता से मिलने की अनुमति और बच्चों के भविष्य के प्रति जागरूकता शामिल होती है, ताकि वे समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें।