नही थम रहा ओवर रेट मैं शराब बिकने का अवैध कारोबार जिम्मेदार कौन ग्रामीण क्षेत्रों में
कंट्रोल इंडिया ब्यूरो

आबकारी विभाग मौन लगातार हो रही है वायरल वीडियो अनुज्ञापियो के हौसले बुलंद
ग्रेटर नोएडा ग्रामीण क्षेत्रों मे लगातार ओवर रेट की समस्या निरंतर बढ़ती जा रही है अनुज्ञापियो के हौसले कुछ इस प्रकार बुलंद हो रहे है कि विभाग ने खुली छुट दे दी है एक कहावत कही गयी है जो जनपद के ठेको पर सही बैठ रही है कि सैया भए कोतवाल तो डर किस बात का इसी क्रम मे लगातार अनुज्ञापी निरंतर काम कर रहे है लेकिन कही ना कही सोशल मीडिया द्वारा विभाग द्वारा किए जा रहे फोटो शूट का खुलासा भी हो जाता है अगर हम जमीनी हकीकत की बात करे तो जिले मे ओवर रेट व नाईट बिक्री के द्वारा निरतंर आबकारी अधिनियमो का उल्लंघन किया जा रहा है लेकिन आबकारी विभाग कार्रवाई करने में असमर्थ है ऐसा ही वाक्य ग्रेटर नोएडा के कासना क्षेत्र में देखा गया है जहां पर एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुयी है जो कि कासना कंपोजिट शॉप की बतायी जा रही है जिसमे खुलेआम ₹10 का ओवर रेट हंटर केन पर लिया जा रहा है अगर हम बात करें तो वह हंटर कैन ₹130 के प्रिंट मूल्य पर आती है लेकिन विक्रेता द्वारा 140 रुपए की बेकी जा रही है।
आखिर इस ₹10 के अतिरिक्त चार्ज का जिम्मेदार कौन है आखिर क्यों ऐसे ओवर रेट माफियाओं के प्रति आबकारी विभाग कार्रवाई करने से बच रहा है या ऐसे लोगों को बचाने के लिए ही विभाग द्वारा संबंधित अधिकारियों को नियुक्त किया गया है देखने की बात यह होगी की क्या आबकारी विभाग इस खबर के बाद में जाग पाएगा इस ठेके पर आबकारी अधिनियमों के उल्लंघन करने के जो कठोर कार्रवाई होगी बनती है वह होगी या फिर डाक के चार-पात
ओवर रेट का मुख्य कारण जो विक्रेता द्वारा बताया गया
जब हमारी टीम ने इस विषय में ऑफ कैमरा विक्रेताओं से बात करी तो आखिर क्यों और किन मजबूरी के कारण जनता को ओवर रेट नमक रक्षक के तहत लूटा जाता है तो नाम ना बताने की शर्त पर कुछ बातें खुलकर आई जिसमें सबसे मुख्य बात यह निकाल कर आई की शराब कंपनियों द्वारा सिर्फ ₹12000 का मासिक वेतन उन्हें दिया जाता है। जिसमें से टूट फुट भी उसी 12000 हज़ार मैं सामिल है सूत्रों द्वारा जानकारी ये भी मिली है। कि कुछ विक्रेताओं की सैलरी तो सिर्फ गारंटी के नाम ठेके पर नौकरी दिलाने के नाम पर ली जाने वाली रकम को इस जगह पर गारंटी का शब्द दिया गया है गारंटी देने वाला व्यक्ति को ₹12000 हर महीना विक्रेता देता है तो ओवर रेट विक्रेता क्यों ना करें जिसमें विक्रेता के सुपरवाइजर भी सम्मिलित होते हैं उन्हीं की कूट रचित रणनीति के बदौलत यह सारा खेल धड़ल्ले से चलता है। जिसको रोक पाना लगभग गौतमबुद्ध नगर जिले के अंदर नामुमकिन लग रहा है